कोटा के सरकारी न्यू मेडिकल अस्पताल में बदहाली का आलम: मरीज बेहाल, सुविधाएँ ध्वस्त
रिपोर्टर – जसप्रीत सिंह
कोटा के सरकारी न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल इन दिनों अव्यवस्था और गंदगी का पर्याय बन चुका है, जिससे गंभीर मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है, और प्रशासनिक दावों के बावजूद जमीनी हकीकत निराशाजनक है।
स्ट्रेचर-व्हीलचेयर के लिए भटकते मरीज
अस्पताल में स्ट्रेचर और व्हीलचेयर की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है। गंभीर मरीजों को भी आपातकालीन स्थिति में इन्हें खोजने में घंटों लग जाते हैं, जिससे उनका बहुमूल्य समय बर्बाद होता है। समाज सेवी के द्वारा दान किए गए स्ट्रेचर और व्हीलचेयर भी खुले में पड़े-पड़े कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं, जो अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता को दर्शाता है। हालांकि, स्ट्रेचर के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है, लेकिन कुछ ही दिनों में स्थिति जस की तस हो जाती है।
बदहाल संरचना और ठेकेदार की लापरवाही
लाखों रुपये के टेंडर दिए जाने के बावजूद, अस्पताल परिसर में जगह-जगह टूट-फूट और जर्जर इमारतें नजर आती हैं। तस्वीरों में स्पष्ट है कि ठेकेदार द्वारा गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं किया जा रहा है, जिससे अस्पताल की आंतरिक और बाहरी स्थिति दयनीय बनी हुई है। अस्पताल प्रबंधन के तमाम दावे कागजी साबित हो रहे हैं, जिसका सीधा खामियाजा मरीजों और उनके तीमारदारों को भुगतना पड़ रहा है।
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### सुरक्षाकर्मियों का असभ्य व्यवहार और खुली अव्यवस्था
अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों का व्यवहार भी अक्सर असभ्य और अपमानजनक पाया गया है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों में असंतोष है। अस्पताल के गेट नंबर 4 के सामने सुलभ शौचालय न होने के कारण, मरीज के परिजन खुले में स्नान करते पाए गए, जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं। जब सुरक्षाकर्मियों से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे अपनी जिम्मेदारी से बाहर बताया। इतना ही नहीं, परिसर के भीतर कई लोग खुलेआम धूम्रपान करते दिखे, और इस संबंध में ठेकेदार ने भी माना कि सुरक्षाकर्मियों के ऐसे व्यवहार की शिकायतें पहले भी सामने आई है
न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल की यह स्थिति चिंताजनक है, जहां मरीजों को इलाज से पहले ही अव्यवस्था और लापरवाही से जूझना पड़ रहा है। प्रशासन को इस ओर तत्काल ध्यान देने और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि स्वास्थ्य सेवाओं को सुगम और संवेदनशील बनाया जा सके।
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